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विचार मंच न्यूज़

‘कश्मीर की हिंसा के कवरेज को राष्ट्रहित, देशहित, एकता, अखंडता के नाम से परखा जा रहा है। जेएनयू के समय भी राष्ट्रवाद उभरा था। कैराना में फर्जी खबर के दम पर इसी मीडिया ने वहां कश्मीर तक पैदा कर दिया था। वही मीडिया अब कश्मीर में राष्ट्रवाद का ढोल पीट रहा है।’ अपने ब्लॉग ‘कस्बा’ के जरिए ये कहा वरिष्ठ टीवी पत्रकार रवीश कु

समाचार4मीडिया ब्यूरो 8 years ago



हिंदी दैनिक अखबार नया इंडिया में छपे अपने आलेख के जरिए वरिष्ठ पत्रकार डॉ. वैदिक ने दो ऐसे उदाहरण पेश किए, जिन्होंने इंसानियत की एक मिशाल पेश की और दुनिया को बता दिया कि सच्चा मजहब इंसानियत में ही है। इंसानियत से बड़ा कोई मजहब नहीं। डॉ. वैदिक का पूरा आलेख आप यहां पढ़ सकते हैं:

समाचार4मीडिया ब्यूरो 8 years ago


‘कश्मीर का मीडिया कश्मीर से बात कर रहा था और दिल्ली का मीडिया कश्मीर के बहाने उत्तर भारत में फैले उन्हीं पुरानी धारणाओं को भड़का रहा था जो ट्रकों पर लिखे होते हैं। दूध मांगोगे तो खीर देंगे, कश्मीर मांगोगे तो चीर देंगे। लेकिन पाबंदी कश्मीर की मीडिया पर लगा दी गई।’ अपने ब्लॉग ‘कस्बा’ के जरिए ये कहा वरिष्ठ टीवी पत्रकार

समाचार4मीडिया ब्यूरो 8 years ago


<p style="text-align: justify;">'अगर आप पत्रकारिता के कोर्स में कोई फैक्ट्री समझ कर आए हैं तो प्लीज एक काम कीजिए। मुझसे कभी न मिलिये। कभी मिल भी जाइये तो मुंह फेर के चले जाइये। तल्खी से इसलिए कह रहा हूं कि आपको बात समझ आए। इतनी नौकरियां नहीं हैं। अगर होती तो तमाम जगहों पर कैंपस सलेक्शन हो रहे होते। दो चार की संख्या में भर्ती निकलती है। अगर नौकरी पा

समाचार4मीडिया ब्यूरो 8 years ago


 ‘हरिद्वार की बात करें तो यहां रोज शाम को गंगा आरती होती है। हर आदमी गंगा की कसम खाता है कि वह गंगा को साफ रखेगा, गंगा में साबुन का इस्तेमाल नहीं करेगा, कपड़े धोएगा नहीं। लेकिन, सुबह होते ही लोग कसम भूल जाते हैं।’ हिंदी साप्ताहिक अखबार ‘चौथी दुनिया’ में छपे अपने आलेख के जरिए कहा 

समाचार4मीडिया ब्यूरो 8 years ago


‘अरुणाचल के फैसले हमारी न्यायपालिका की स्वतंत्रता का प्रमाण तो हैं लेकिन न्यायपालिका को थोड़ी हिम्मत और दिखानी चाहिए। उसे राष्ट्रपति और केंद्र सरकार की भूमिका पर भी सीधी टिप्पणी करनी चाहिए।’ हिंदी दैनिक अखबार नया इंडिया में छपे अपने आलेख के जरिए ये कहना है वरिष्ठ पत्रकार डॉ. वैदिक का। उनका पूरा आलेख आप यहां पढ़ सकते ह

समाचार4मीडिया ब्यूरो 8 years ago


‘क्या आप समझ पा रहे हैं कि चैनल सत्ता और सत्ताधारी पार्टी के महासचिव हो गए हैं?  इस टीवी से सावधान हो जाइए। वरना आप हैवान हो जाएंगे। वर्ना ये मत कहना किसी टीवी वाले ने समय रहते नहीं बताया।’ अपने ब्लॉग ‘कस्बा’ के जरिए ये कहा वरिष्ठ टीवी पत्रकार रवीश कुमार ने। उनका पूरा आलेख आप यहां पढ़ सकते हैं:

समाचार4मीडिया ब्यूरो 8 years ago


‘हमारी सरकार को सिर्फ गोली के सहारे नहीं रहना चाहिए। उसे बोली का सहारा भी लेना चाहिए। वह हुर्रियतवालों से बात करे, पाकिस्तानपरस्तों से संवाद करे, गुस्साए नौजवानों से बात करे और पाकिस्तान की फौज व सरकार से दो-टूक बात करे। कश्मीर से कतराए नहीं।’ हिंदी दैनिक अखबार नया इंडिया में छपे अपने आलेख के जरिए ये कहना है वरिष्ठ प

समाचार4मीडिया ब्यूरो 8 years ago


गंगा सफाई की जिम्मेदारी अकेले किसी को देनी चाहिए। या तो उमा जी को ही ये जिम्मेदारी अकेले दी जाए या फिर किसी और को। या फिर उनका एमओएस (राज्य मंत्री) ऐसा हो जो गंगा की जिम्मेदारी अकेले संभाल ले। गंगा के लिए दिन के 24 घंटे कम पड़ जाते हैं।  हिंदी साप्ताहिक अखबार ‘चौथी दुनिया’

समाचार4मीडिया ब्यूरो 8 years ago


‘किसी की बुराई करते मनुष्य का चेहरा देखिए, मानवता अपने सर्वोच्च स्तर पर दिखाई देगी। इस कला के प्रदर्शन के लिए बहुत ताम-झाम नहीं चाहिए। बस एक अदद मुंह होना चाहिए। मुंह बिजी हो तो इशारे वगैरह से भी काम चलाया जा सकता है। बस, मन में लगन होनी चाहिए। सीने में अगन होनी चाहिए।’ हिंदी अखबार ‘दैनिक भास्कर’  में प्रकाशित एक व्य

समाचार4मीडिया ब्यूरो 8 years ago


उत्तर प्रदेश के तिलिस्म में सबसे नीचे के पायदान पर नीतीश कुमार का दल है, जो योजनाएं बनाते हुए यह भूल जा रहा है कि मुलायम सिंह यादव भी बिहार के चुनाव में कैंपेन करने गए थे। तब सारे उत्तर प्रदेश के मंत्री और कार्यकर्ता बिहार में लग गए थे, लेकिन उनका कोई भी प्रचार वोट के रूप में तब्दील नहीं हो पाया। ऐसा ही उत्तर प्रदेश

समाचार4मीडिया ब्यूरो 8 years ago


‘कश्मीर आसानी से पाकिस्तान में चला गया होता, अगर शेख अब्दुल्लाह (जो नेहरू और महात्मा गांधी के प्रशंसक थे) ने भारत के साथ रहने का फैसला नहीं किया होता। ये शेख अब्दुल्लाह थे जिन्होंने फैसला किया कि कश्मीर सेक्युलर भारत के साथ रहेगा न कि मुस्लिम पाकिस्तान के साथ।’ हिंदी साप्ताहिक अखबार ‘चौथी दुन

समाचार4मीडिया ब्यूरो 8 years ago



‘उदयन शर्मा ने राजनीति में भी जोर आजमाइश की। शायद उनकी सोच थी कि पत्रकारिता के साथ-साथ राजनीति में रहकर मजलूमों की आवाज और पुरजोर तरीके से उठायी जा सकती है। लेकिन दूसरे राजनीतिज्ञों का आंकलन करने वाले उदयन शर्मा अपना राजनैतिक आंकलन करने में चूक गए।’ दिग्गज पत्रकार उदयन शर्मा के जन्मदिन पर अपने ब्लॉग ‘हक बात’ के जरिए

समाचार4मीडिया ब्यूरो 8 years ago



‘यह बहुत अमानवीय व्यवस्था है जिसमें कोई भी संवेदनशील शख्स अपने-आप को मिसफिट पाता है। वह अपने लिए नए रास्ते खोजता है। सौमित भी ऐसा ही संवेदनशील शख्स था। वह नौकरियों के इस तंत्र में खप नहीं सका। उसने अपने लिए स्वायत्त व्यवस्था बनानी चाही। उसमें भी कामयाब नहीं रहा। इसके बाद जैसे वह एक अंधी गली में भटक गया। यह अंधी गली भ

समाचार4मीडिया ब्यूरो 8 years ago


वरिष्ठ पत्रकार विष्णु नागर की तेरह कविताएं ‘नया ज्ञानोदय’ के जुलाई अंक में प्रकाशित हुई हैं, जिनमें से उनकी एक कविता आप यहां पढ़ सकते हैं: एडजस्टमेंट ---------------- जिंदगी एडजस्टमेंट से ही

समाचार4मीडिया ब्यूरो 8 years ago