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विचार मंच न्यूज़

‘एक पत्रकार हूं और जानता हूं कि संसद की पूर्णत: दोनों सदनों से है और किसी एक के साथ छेड़छाड़ करने का विचार भी रखना वास्तव में संविधान की आत्मा से खिलवाड़ होगा।’ अपने फेसबुक अकाउंट के जरिए ये कहा वरिष्ठ पत्रकार अरविंद के. सिंह ने। उनका पूरो आलेख आप यहां पढ़ सकते हैं: राज्य सभा की भूमिका पर सवाल

समाचार4मीडिया ब्यूरो 8 years ago


समाचार4मीडिया ब्यूरो ।। राज्यसभा के मौजूदा द्विवार्षिक चुनाव के बाद भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के सांसदों की संख्या बढऩे की उम्मीद है, लेकिन वह फिर भी सदन में बहुमत से कुछ दूर राज्यसभा के मौजूदा द्विवार्षिक चुनाव के बाद भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के सांसदों की संख्या बढ

समाचार4मीडिया ब्यूरो 8 years ago


वरुण कुमार ।। आज सुबह ऑफिस पहुंचने पर मथुरा में हुए प्रकरण की जानकारी मिली। खबर देख कर होश उड़ गए। शहीद हुए एसपी सिटी मुकुल द्विवेदी साल 2008-2009 में बुलंदशहर में सीओ सिटी थे। मैं उन

समाचार4मीडिया ब्यूरो 8 years ago


‘लगता है कि प्रधानमंत्री इस पीड़ा से वाकिफ हुए हैं। उन्हें यह भान हुआ है कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर ध्यान देना उतना ही आवश्यक है, जितना बड़े-बड़े निवेश के लिए दुनिया को रिझाना। इसीलिए उन्होंने ग्रामीण चुनौतियों को स्वीकार करते हुए आठ राज्यों में 21 अनाज मंडियों को जोडऩे वाला नेशनल कृषि बाजार लांच किया ताकि किसानों को उनके उत्पादों के लिए बेहतर बाजा

समाचार4मीडिया ब्यूरो 8 years ago


‘भारत में फेसबुक लोकप्रिय है तो इसकी कोई वजह है। मुझे लगता है हमें बकवास पसंद है। उसका अपना आनंद है।’ अपने फेसबुक वॉल क जरिए ये कहा वरिष्ठ पत्रकार प्रमोद जोश ने। उनका पूरा पोस्ट आप यहां पढ़ सकते हैं:

समाचार4मीडिया ब्यूरो 8 years ago


‘यूपी में बीजेपी का चेहरा होगा कौन यह सवाल बीजेपी के माथे पर शिकन पैदा करता है क्योंकि सोशल इंजीनियरिंग वोट दिला सकते है लेकिन यूपी का चेहरा कैसे दुरस्त हो यह फॉर्मूला किसी के पास नहीं है, क्योंकि यूपी का सच खौफनाक है।’ अपने ब्लॉग (prasunbajpai.itzmyblog.com) के जरिए ये कहना है वरिष्ठ पत्रकार पुण्य प

समाचार4मीडिया ब्यूरो 8 years ago


‘कुरान शरीफ में तो महिलाओं की सुरक्षा और आदर की कई हिदायतें हैं। इसके अलावा हमें एक बुनियादी बात सबसे पहले समझनी चाहिए। वह यह कि हर धर्म, हर मजहब और हर नैतिकता अपने देश और काल से प्रभावित होती है। समय निरंतर बदलता रहता है और जब देश भी बदल जाए तो पुरानी घिसी-पिटी बातों से चिपके रहना तो अपने धर्म और मजहब का उल्लंघन ही है।’ हिंदी दैनिक अखबार ‘नया इंडि

समाचार4मीडिया ब्यूरो 8 years ago


‘मैं रहूं न रहूं पर दस बरस बाद प्रिंट मीडिया यानी अखबार, मैगजीन आदि इतिहास बन चुके होंगे और पाठ्यक्रम में पढ़ाया जाएगा कि कागज के अखबार होते थे, स्याही लगती थी आदि आदि। यदि ऐसा हुआ तो इस नाचीज को याद जरूर कीजिएगा।’ अपने फेसबुक पोस्ट के जरिए ये कहा वरिष्ठ खेल पत्रकार पदमपति शर्मा ने। उनका पूरा फेसबुक पोस्ट आप यहां पढ़ सकते हैं:

समाचार4मीडिया ब्यूरो 8 years ago


समाचार4मीडिया ब्यूरो ।। हिंदी पत्रकारिता प्रोफेशनल नहीं रह सकती, इसलिए जरूरी है कि देश में एक वैकल्पिक स्थिति बने जहां जरूरी मुद्दों पर बहस की जा सके। हिंदी पत्रकारिता दिवस पर सोमवार को बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के कृषि विज्ञान संस्थान के सेमिनार हॉल मे ये बातें पत्रकार पुण्य प्रसून बाजपेयी ने कहीं। उन्होंने कहा कि

समाचार4मीडिया ब्यूरो 8 years ago


‘नेताओं को जो धन्ना-सेठ चुनाव में पैसा देते हैं, वे उनसे ब्याज समेत वसूलते हैं। नेताओं की देखा देखी अफसर भी हाथ साफ करते हैं। सारी व्यवस्था में फैलते-फैलते ये रोगाणु कैंसर बन जाते हैं। चुनाव आयोग ने इसकी जो सजा दी है, वह सराहनीय है लेकिन वह बहुत कम है।’ हिंदी दैनिक अखबार ‘नया इंडिया’ में छपे अपने आलेख के जरिए ये कहना है वरिष्ठ पत्रकार डॉ. वेद प्रता

समाचार4मीडिया ब्यूरो 8 years ago


‘अकबर साहब उस सेकुलर मीडिया ब्रिगेड के नेता थे जिसमें एक छोर पर एनडीटीवी चैनल के छाते के नीचे राजदीप, बरखा दत्त, अरनब गोस्वामी गुजरात के दंगों का सच, नरेंद्र मोदी का सच दिखलाते थे तो दूसरे प्रिंट के छोर में एशियन एज, इंडियन एक्सप्रेस की ब्रिगेड में शेखर गुप्ता, आशीष नंदी आदि न जाने क्या-क्या लिखते थे।’ हिंदी दैनिक अखबार नया इंडिया में छपे अपने आलेख

समाचार4मीडिया ब्यूरो 8 years ago


‘टीवी चैनलों के डिबेट एक तरह से व्यवस्था और संस्था के वर्चुअल विकल्प बनते जा रहे हैं। व्यवस्था तो वही रहेगी चलो डिबेट में निपटाते हैं। वहां हम अपनी पसंद और नापसंद के आधार पर भड़ास निकाल लेते हैं। हर दिन एक नया डिबेट होता है। हर दिन एक नई कुश्ती होती है। हम बेहतर की जगह बदतर होते जा रहे हैं। नागरिक उदासीनता की पराकाष्ठा की मिसाल हैं ये बहसें।’ अपने

समाचार4मीडिया ब्यूरो 8 years ago


‘ऐसे दौर में जहां सूचना वस्तु बन गई है और अखबारों का कारोबारी मॉडल इतना तार-तार हो गया है कि उसकी मरम्मत करना मुश्किल है, ऐसे में आत्मविश्लेषण और नए विचारों पर गौर करने में कुछ ऊर्जा खपत करना खासा मददगार होगा।’ हिंदी दैनिक अखबार 'बिजनेस स्टैंडर्ड' में छपे अपने आलेख के जरिए ये कहना है मीडिया कॉलमनिस्ट वनिता कोहली-खांडेकर का। उनका पूरा आलेख आप यहां प

समाचार4मीडिया ब्यूरो 8 years ago


‘किसी अखबार की आय (विज्ञापन) में लगातार गिरावट हो, कागजों का भाव बेतहाशा बढ़े, बिहार सरकार के विज्ञापन के पैसे न मिलें और वेज बिल बढ़ता जाए, तो वह अखबार बाजार में कैसे और कहां से टिकेगा?’ हिंदी दैनिक अखबार प्रभात खबर में छपे अपने आलेख के जरिए ये कहना है वरिष्ठ पत्रकार और संपादक हरिवंश का। उनका पूरा आलेख आप यहां पढ़ सकते हैं अखबार ही नहीं

समाचार4मीडिया ब्यूरो 8 years ago


‘देश में अब क्या कोई नेता आपको ऐसा दिखता है, जिसका फोटो लोग अपने घर में लगाते हों? सरकारें जो कुछ अच्छा करती हैं, उसकी जानकारी जनता को देना जरूरी है लेकिन करोड़ों-अरबों के विज्ञापन देना और उनमें अपना फोटो चिपकवा देना क्यों जरुरी है?’ हिंदी दैनिक अखबार ‘नया इंडिया’ में छपे अपने आलेख के जरिए ये कहना है वरिष्ठ पत्रकार डॉ. वेद प्रताप वैदिक का। उनका पूरा

समाचार4मीडिया ब्यूरो 8 years ago


संतोष भारतीय प्रधान संपादक, चौथी दुनिया ।। नरेंद्र मोदी सरकार जिस तरह आर्थिक नीतियों के चलते लगातार निशाने पर है। ऐसे में ये एक रहस्य ही है जिसकी चर्चा दबी जुबान बीजेपी का हरेक नेता करता है कि क्यों पीएम मोदी ने एक ऐसे व्यक्ति को वित्तमंत्री बना रखा है जिसे ईकॉनमी की ई तक नही

समाचार4मीडिया ब्यूरो 8 years ago


‘इंदिरा गांधी के बाद इतनी तगड़ी सरकार सिर्फ नरेंद्र मोदी ने ही बनाई है। यदि आपने उसे एक नंबर भी कम दे दिया तो समझ लीजिए कि आपकी शामत आ गई।’ हिंदी दैनिक अखबार ‘नया इंडिया’ में छपे अपने आलेख के जरिए ये कहना है वरिष्ठ पत्रकार डॉ. वेद प्रताप वैदिक का। उनका पूरा आलेख आप यहां पढ़ सकते हैं: मोदी को 10 में से

समाचार4मीडिया ब्यूरो 8 years ago


‘आजादी के छह दशक बाद भी हमारे यहां संसद से सड़क और दफ्तर से घर तक सत्ता का लीवर पुरुषों के नियंत्रण में ही रहा आया है। यही हाल मीडिया उद्योग और अर्थजगत का भी है। इसलिए इन तमाम धंधों के सफल टेम्प्लेट पुरुष निर्मित हैं।’ हिंदी दैनिक अखबार 'नईदुनिया' के में छपे अपने आलेख के जरिए ये कहना है वरिष्ठ महिला पत्रकार और स्तंभकार मृणाल पांडे का। उनका पूरा आलेख

समाचार4मीडिया ब्यूरो 8 years ago