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विचार मंच न्यूज़

‘सर्वोच्च न्यायालय के इस फैसले से कुछ पत्रकार भी बौखलाए हुए हैं। ये वे हैं, जिन्होंने कभी किसी की मानहानि नहीं की होगी और न करना चाहते हैं लेकिन वे इस फैसले को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के विरुद्ध मानते हैं।’ हिंदी दैनिक अखबार ‘नया इंडिया’ में छपे अपने आलेख के जरिए ये कहना है वरिष्ठ पत्रकार डॉ. वेद प्रताप वैदिक का। उनका पूरा आलेख आप यहां पढ़ सकते है

समाचार4मीडिया ब्यूरो 8 years ago


<strong>प्रकाश सिंह ।। </strong> आजकल सड़क के 'चिंटू' से लेकर संसद में बैठे 'छिल्टू' तक, सोशल मीडिया से लेकर सीएम जैसे कद्दावर नेता भी दूसरे को सर्टिफिकेट बांट रहे हैं। आजकल घोटाला हो या हत्या, दोनों ही सेलेक्टिव लोगों द्वारा सेलेक्टिव नजर से देखा जा रहा है फिर अपनी-अपनी विचारधारा के आधार पर अपने राजनीतिक आकांओं को खुश करने के लिए चिंटू टाइप के

समाचार4मीडिया ब्यूरो 8 years ago


एन.के.सिंह महासचिव, बीईए 15 अगस्त, 1947 की बात है। देश आजादी का जश्न मना रहा था। हल्की बारिश हो रही थी। वाराणसी के पास एक स्टेशन था –कोढ़ रोड जिसे आज ज्ञानपुर कहते हैं। उस स्टेशन के सहायक स्टेशन मास्टर फुन्नन सिंह भी अति उत्साह में ऑफिस में बैठे थे। ट्रेन आने का टाइम हो गया था, लेकिन एक भी आदमी टिकट लेने नहीं आया। फुन्नन सिंह अचम्भे में कार्या

समाचार4मीडिया ब्यूरो 8 years ago


'जब सांसदों के ऊपर किसी भी तरह की बात हो तो वह आपके यहां विशेषाधिकार का मसला बन जाती है। और जब हम देश को सामने रखकर आपके ऊपर सवाल उठाएं तो हमें मन ही मन इस बात के लिए तैयार हो जाना पड़ता है कि आप हमें सदन में बुलाकर, कोने में खड़ा करके हमें सजा सुना सकते हैं और पंद्रह दिन से एक महीने के लिए जेल भेज सकते हैं।' हिंदी अखबार<strong> 'चौथीदुनिया'</strong>

समाचार4मीडिया ब्यूरो 8 years ago


'कांग्रेस के लिए असल में शर्म की बात यह है कि इटली की अदालत द्वारा दिए गए फैसले में किसी सिग्नोरा गांधी और एपी के नाम का जिक्र है। लेकिन यह सबूत नहीं है। यह केवल राजनीतिक इस्तेमाल के लिए है। मैं नहीं समझता कि ऐसे मुद्‌दों पर जनता का समय बर्बाद होना चाहिए। संसद जनता के काम के लिए होती है। इस मामले की जांच होने दीजिए और फैसला आने दीजिए। यह काम जांच ए

समाचार4मीडिया ब्यूरो 8 years ago


‘सुना है कि संगीता के अलावा एक और टेंटेड क्रिकेटर मनोज प्रभाकर फिल्म के निर्माता पर मानहानि का मुकदमा करने वाले हैं। मेरी कामना यही कि फिल्म फ्लॉप हो ताकि भविष्य में कोई दागियों पर फिल्म बनाने का दुस्साहस न कर सके।’ अपने फेसबुक पोस्ट के जरिए ये कहा वरिष्ठ खेल पत्रकार पदमपति शर्मा ने। उनका पूरा फेसबुक पोस्ट

समाचार4मीडिया ब्यूरो 8 years ago


‘आप सबको मेरी एक राय है। आप सबको बेंगलुरु की महिलाओं से सीखना चाहिए। उन आंगनवाड़ी की महिलाओं से सीखना चाहिए जो 3000 रुपए कमाने के बावजूद , पांच– पांच सौ रुपए जमा करके अपने हक की लड़ाई लड़ने के लिए 40 साल से दिल्ली आकर प्रदर्शन करती हैं। इतना भी आलसी मत हो जाइये की सब कुछ मुझ पर या मेरे जैसे टीवी वाले पर ही छोड़ दिया जाए।’ अपने ब्लॉग 'कस्बा' के जरिए ये

समाचार4मीडिया ब्यूरो 8 years ago


‘करोड़ो रुपयों के विज्ञापन इस पर फूंके जा रहे हैं कि बोतलबंद पानी का कोई मुकाबला नहीं है। लेकिन सच यह भी है कुकरमुत्ते की तरह बोतलबंद पानी बेचने वाली कंपनिया उग तो आईं लेकिन उसमें भी कीटनाशको की मिलावट है और यह सेंटर फॉर साइंस एंड एन्वायरमेंट की रिसर्च में सामने आया।’ अपने ब्लॉग (prasunba

समाचार4मीडिया ब्यूरो 8 years ago


‘फोटो पत्रकारिता अत्यंत जोखिम भरा पेशा है, लेकिन इस तरह के जोखिम से कई सवाल खड़े होते हैं। इसे आप साहसिक कार्य की श्रेणी में रखेंगे या अतिउत्साह में उठाया गया अविवेकपूर्ण कदम! ऐसा तो नहीं हम जोश में होश खो बैठ रहे हैं!’ अपने फेसबुक पोस्ट के जरिए ये कहना है फोटो पत्रकारिता के शिक्षक एस.के. यादव का।  उनका पूरा पोस्ट आप यहां पढ़ सकते हैं:

समाचार4मीडिया ब्यूरो 8 years ago


‘रिजर्व बैंक ने सरकारी बैंकों पर डंडा किया है कि वे अपनी बैलेंस शीट ठीक करें। जिन्हें कर्ज दिया उनसे या तो पैसा वसूलें या उनकी संपदा बेच पैसा वसूलें। दरअसल भारत के दस आला औद्योगिक घरानों ने बैंकों से कोई पांच लाख करोड़ रुपए का कर्ज लिया हुआ है। इसमें से इस साल कम से कम दो लाख करोड़ रु की बैंकों को वसूली करनी है। इसलिए इतनी कीमत का माल इन दस घरानों

समाचार4मीडिया ब्यूरो 8 years ago


‘आज जिस तरह से मीडिया पर आरोप लग रहे हैं उसमें मीडिया को अपनी साख बचाने की जरूरत है। यह माना कि औद्योगिक घराने अपने निहित स्वार्थों के तहत न्यूज चैनल और अखबार चला रहे हैं। अनेक चैनलों में तो विदेशी लोग भी साझेदार हैं। ऐसे में मीडिया की साख बचना मुश्किल नजर आ रहा है।’ अपने ब्लॉग (spmittal.blogsp

समाचार4मीडिया ब्यूरो 8 years ago


‘आज भी देश के विभिन्न क्षेत्रों में हजारों पत्रकार ईमानदारी और निष्पक्षता के साथ काम कर रहे हैं। लेकिन धंधेबाज वर्ग के कारण संपूर्ण मीडिया कठघरे में खड़ा दिखता है। समय आ गया है, जबकि दोषी मीडियाकर्मियों को बख्‍शा नहीं जाए।’ हिंदी मैगजीन ‘आउटलुक’ के वेबपोर्टल पर पब्लिश हुए अपने आलेख के जरिए ये कहा प्रधान संपादक और वरिष्ठ पत्रकार आलोक मेहता का। उनका

समाचार4मीडिया ब्यूरो 8 years ago


‘कांग्रेस के प्रवक्ता मनमोहन सिंह और ए.के. एंटनी की ईमानदारी का दावा करते हुए हेलीकॉप्टर घोटाले में अपनी सरकार का दामन बेदाग बता रहे हैं। लेकिन मनमोहन सिंह क्यों मौन हैं? सारे पुण्य के साथ सत्ता के किसी पाप के छींटों को स्वीकारने से उन्हें परहेज क्यों है?’ हिंदी मैगजीन ‘आउटलुक’ के वेबपोर्टल पर पब्लिश हुए अपने आलेख के जरिए ये कहा प्रधान संपादक और वर

समाचार4मीडिया ब्यूरो 8 years ago


'ज्ञानीजी से मेरा परिचय अब से 35-36 साल पहले तब हुआ था, जब वे गृहमंत्री थे। वह घनिष्टता में बदल गया, जो उनके अंतिम समय तक बनी रही। उनका पहला स्मारक भाषण देने का आग्रह भी उनके परिवार ने मुझसे ही किया था। ज्ञानीजी का दूसरा स्मारक भाषण भारत के गृहमंत्री लालकृष्णजी आडवाणी ने दिया था।' हिंदी न्यूज पोर्टल 'खबर लाइव' पर पब्लिश हुए अपने  आलेख के जरिए ये कह

समाचार4मीडिया ब्यूरो 8 years ago


‘दिल्ली में चैनल अब खबरों के लिए नहीं अपने स्वार्थ के लिए चल रहे हैं और पिस रहा है इन चैनलों में काम करने वाला डेस्क का पत्रकार’  अपने फेसबुक वॉल पर एक पोस्ट के जरिए ये कहा युवा पत्रकार रोमल भावसार ने। उनका पूरा पोस्ट यहां पढ़ सकते हैं: @पूजा तिवारी आत्महत्या: पत्रकारों के लिए गारंटी शब्द नहीं है

समाचार4मीडिया ब्यूरो 8 years ago


‘सरकारी नौकरियों से आरक्षण बिल्कुल खत्म होना चाहिए। सारी नौकरियां शुद्ध योग्यता और गुणवत्ता के आधार पर दी जानी चाहिए। हां, आदिवासियों, दलितों, पिछड़ों, ग्रामीणों, अल्पसंख्यकों और सभी जरुरतमंदों को शिक्षा में बिना किसी भेद-भाव 75 प्रतिशत तक आरक्षण दिया जाना चाहिए ताकि वे नौकरियां खम ठोककर लें, भीख का कटोरा फैलाकर न लें ।’ हिंदी दैनिक अखबार ‘नया इंडि

समाचार4मीडिया ब्यूरो 8 years ago


<strong>नीरज चक्रपाणि</strong> तरह-तरह के दिवस शायद इसीलिए मनाए जाते हैं कि लोग उस दिन किसी खास मुद्दे पर अच्छी-अच्छी बातें करें, आदर्श-नीति-सिद्धांत वगैरह पर जोर दिया जाए। तीन मई 'विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस' है, यह दिन प्रेस की स्वतंत्रता के बारे में बातें करने के लिए मुकर्रर है, ऐसा नहीं है कि इस दिन किसी देश में प्रेस को स्वतंत्रता मिल गई

समाचार4मीडिया ब्यूरो 8 years ago


<div> जयपुर से प्रकाशित होने वाले दैनिक अखबार 'डेली न्यूज' ने 3 मई विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस पर पत्रकार सविता पारीक की एक कवर स्टोरी प्रकाशित की, जिसके जरिए बताने की कोशिश की गई, कि प्रेस को स्वतंत्रता को किस तरह लहूलुहान और जंजीरों में जकडऩे की कोशिशें हो रही हैं। पढ़िए पूरा आलेख... <strong>कैसे भरेगी कलम उड़ान!</strong> <a href="http:/

समाचार4मीडिया ब्यूरो 8 years ago